The Single Best Strategy To Use For bhairav kavach
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वाद्यं वाद्यप्रियः पातु भैरवो नित्यसम्पदा ।
अनुष्टुप् छन्दः । श्रीबटुकभैरवो देवता ।
मियन्ते साधका येन विना श्मशानभूमिषु।
कालिका साधने चैव विनियोगः प्रकीर्त्तितः ॥ ७॥
प्रवक्ष्यामि समासेन चतुर्वर्गप्रसिद्धये ॥ ६॥
पातु मां बटुको देवो भैरवः सर्वकर्मसु
वायव्यां मे कपाली च नित्यं पायात् सुरेश्वरः
मालिनी पुत्रकःपातु पशूनश्यान् गजांस्तथा ।।
ॐ ह्रीं बटुकाय सततं सर्वाङ्गं मम सर्वदा ॥
बटुक भैरव कवच का व्याख्यान स्वयं महादेव ने किया है। click here जो इस बटुक भैरव कवच का अभ्यास करता है, वह सभी भौतिक सुखों को प्राप्त करता है।
पातु शाकिनिकापुत्रः सैन्यं मे कालभैरवः ।